नशा एक सामाजिक कलंक और अभिशाप
वर्तमान समय में नशा समाज का एक बहुत बड़ा कलंक है। जिस तरह हमारे समाज के युवावर्ग का रुझान इस तरफ बढ़ रहा है, वाकई में गंभीर चिंता का विषय है। वह युवा जिसे हम अपने देश की शक्ति मानते है, देश के उज्जवल भविष्य मानते है, उसे आज नशे के कीड़ा ने ऐसा जकड़ लिया है जैसे शिकारी अपने शिकार को जकड़ता है। शुरू में तो व्यक्ति शौक के तौर पर नशा करते है, यही शौक बाद में चलकर घातक आदत में परिवर्तित हो जाती है। आज के युवा वर्ग में हम देखते है की नशा एक शौक और मर्यादा की बात बन गई है। जो युवा नशा नहीं करते उन्हें उनके साथी नीच की भावना से देखते है। नशा करने को फैशन ओर गर्व की बात समझते है।नशे में धुत युवा संगीन अपराध करने में भी पीछे नहीं हटते। ये अपने घर में ही चोरी करने पर उतर आते है परन्तु यहां उनको समझना होगा कि उनका जीवन अंधकार में है। नशे में रहने वाला व्यक्ति अस्थाई रूप से असंवेदनशील रहता है। जिस व्यक्ति को नशे की लत लग जाती है वह अपने पारिवारिक, सामाजिक, ओर आर्थिक छवि को खो बैठता है। नशा बहुत ही संगीन अपराध को जन्म देता है। नशे में धुत व्यक्ति को कोई गलत सही काम नहीं सूझता। हरेक...